| आताशा.. असे हे.. मला काय होते!!! |
| कुण्या काळचे , पाणी डोळ्यात येते..... |
| बरा बोलता बोलता , स्तब्ध होतो... |
| कशी शांतता , शून्य शब्दांत येते....... |
| आताशा.. असे हे .. मला काय होते!!! |
| कुण्या काळ चे , पाणी डोळ्यात येते!!! |
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| कधी दाटु येता , पसारा घनांचा.... |
| कसा सावला रंग , होतो मनाचा... |
| असे हालते .. आत हलुवार काही... |
| जसा सप्र्श पाण्यावरी चाँदण्याचा.... |
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| असा ऐकू येतो , क्षणाचा इशारा ... |
| क्षणी व्यरथ होतो ... दीशांचा पसारा... |
| नभातुन ज्या .. रोज जातो बुडूनी.. |
| नभाशीच त्या... मागु जातो कीनारा.... |
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| न अंदाज कुठले.. न अवधान काही.... |
| कुठे जायचे , यायचे भान नाही.. |
| जसा गंध नीघतो, हवेच्या प्रवासा |
| न कुठले नकाशे.. न अनुमान काही.... |
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| कशी ही अवस्था.. कुणाला कलावे.. |
| कुणाला पुसावे.. कुणी उत्तरावे... |
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| कीती खोल जातो, तरी तोल जातो... |
| असा तोल जाता.. कुणी सावरावे.... |
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| आताशा .. असे हे ..मला काय होते .... |
| कुण्या काळ चे ,पाणी डोळ्यात येते.... |
| बर बोलता बोलता , स्तब्ध होतो. |
| कशी शांतता शून्य शब्दांत येते... |
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| आताशा असे हे मला काय होते .... |
| कुण्या काळ चे पाणी डोळ्यात येते..... |
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