मैत्रिण |
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मैत्रिण माझी बिल्लोरी, बुट्टूक लाल चुट्टुक चेरी |
मैत्रिण माझी हूं का चूं!, मैत्रिण माझी मी का तू ! |
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मैत्रिण माझी हट्टी गं, उन्हाळ्याची सुट्टी गं, |
मैत्रिण माझ्या ओठांवरची कट्टी आणि बट्टी गं ! |
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मैत्रिण रुमझुमती पोर, मैत्रिण पुनवेची कोर |
मैत्रिण माझी कानी डूल, मैत्रिण मैत्रिण वेणीत फूल! |
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मैत्रिण मांजा काचेचा, हिरवा हार पाचूचा |
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बदामाचे झाड मैत्रिण, बदामाचे गूढ मैत्रिण |
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मैत्रिण माझी अशी दिसते, जणू झाडावर कळी खुलते |
ओल्या ओठी हिरमुसते, वेड्या डोळ्यांनी हसते |
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मैत्रिण माझी फुलगंधी, मैत्रिण ञाझी स्वच्छंदी |
करते जवळीक अपरंपार, तरीही नेहमी स्पर्शापार |
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मैत्रिण सारे बोलावे, मैत्रिण कुशीत स्फुंदावे |
जितके धरले हात सहज, तितके अलगद सोडावे |
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मैत्रिण माझी शब्दांआड लपते, हासुनिया म्हणते, |
पाण्याला का चव असते, अन् मैत्रिणीस का वय असते |
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मैत्रिण, थोडे बोलू थांब, बघ प्रश्नांची लागे रांग |
दुःख असे का मज मिळते, तुझ्याचपाशी जे खुलते |
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मैत्रिण माझी स्वच्छ दुपार, मैत्रिण माझी संध्याकाळ |
माझ्या अबोल तहानेसाठी मैत्रिण भरलेले आभाळ |
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